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Sustainable Development Goals



उन्नत बकरी पालन की जानकारी
कृषि और खाद्य सुरक्षा पर विषयगत केंद्र के रूप में, आगा खान फाउंडेशन (इंडिया) कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों और भूमिहीन परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण पर अभी तक उपेक्षित व्यवसाय बकरियों जैसे छोटे पशुओं का पालन है।
बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित आगा खान फाउंडेशन (इंडिया), बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में छोटे जुगाली करने वाले (बकरी) में उन्नत तरीके से सुधार के माध्यम से भूमिहीन और सीमांत कृषक परिवारों के जीवन की गुणवत्ता को बदलने और सुधारने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को लागू किया है। इस परियोजना के माध्यम से महिलाओं की भूमिका छोटे जुगाली करने वाली बकरी के मूल्य श्रृंखला में, उसके उत्पादन, वृद्धि और सुदृढ़ीकरण, और एक कार्यान्वयन मॉडल को प्रदर्शन करने, जिसे सार्वजनिक निवेश के माध्यम से महत्वपूर्ण पैमाने पर विस्तारित करने जैसे विषयों पर केन्द्रित किया गया है। मेषा परियोजना के पहल से, 2016 में मुजफ्फरपुर के चार ब्लॉकों में 50,000 महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों के जीवन को बदलने की दृष्टि से शुरू किया गया जिसमें छोटे जुगाली करने वाले बकरी के उन्नत विकास, गरीबी उन्मूलन तथा नारी सशक्तिकरण के लिए एक मॉडल की अवधारणा का प्रमाण प्रदर्शित करना है। इसके अलावा, सार्वजनिक वित्त पोषण के साथ राज्य के अन्य जिलों में विस्तार करने की इस परियोजना का लक्ष्य है ।
परियोजना के उद्देश को पूरा करने के लिए समुदाय-आधारित कैडर,पशु सखियों का प्रशिक्षण और उनके विकास को केन्द्रित किया जाता है जो उत्पादन और उत्पादकता में सुधार के लिए बकरियों को निवारक स्वास्थ्य सेवाएं (टीकाकरण, डी-वर्मिंग) और अन्य सेवाएं प्रदान करती है। पशु सखियाँ, जो ग्रामीण स्तर पर उद्यमियों के रूप में उभर रही है, इन सेवाओं को शुल्क ले कर प्रदान करती हैं। अपनी सेवाओं की मांग बढ़ाने के लिए, पशु सखियों ने बकरी पालन से संबंधित उन्नत तरीकों के बारे में बकरी पालकों के साथ व्यापक रूप से बातचीत करती है । उन्नत तरीके से बकरी पालन पर संदेश देने के लिए, पशु सखियों को सहयोग के रूप में, बिहार के मुजफ्फरपुर के चार ब्लॉकों में मेषा परियोजना के तहत बकरी स्वास्थ्य और प्रबंधन पर 12 प्रशिक्षण फिल्मों का एक सेट विकसित किया गया है।.
इन फिल्मों का उपयोग मेषा परियोजना की टीम के साथ-साथ पशु सखियों द्वारा बकरी के उत्पादन और उत्पादकता में सुधार पर जानकारी देने के लिए किया जा रहा है।बकरी का स्वभाव – इस 5:43 मिनट की फिल्म मे, बकरी के प्राकृतिक स्वभाव और उसके रहन सहन के बारे समझाया गया है जैसे कि बकरी को ऊँची और सूखी जगह मे बाँधना, पेड़ के पत्तों को टाँगकर और चारे और दाने को फीडर(नाद ) मे डालकर खिलाना। यह फिल्म, बकरी के प्राकृतिक स्वभाव को समझ कर उसके स्वाथ्य की पहचान करने के बारे में जानकारी देती है । यह फिल्म बकरी के बेहतर स्वाथ्य और उसकी उत्पादकता बढ़ाने पर प्रकाश डालती है और उन्नत बकरी पालन के उद्देश्यों को परिभाषित करती है।
उन्नत बकरी प्रजनन – यह 6:39 मिनट की फिल्म, उन्नत बकरे से प्रजनन के फ़ायदों और घूमन्तू बकरे से प्रजनन से होने वाले नुकसान के बारे मे प्रकाश डालती है । यह फिल्म एक वैज्ञानिक तरीके से तैयार उन्नत बकरे की विशेषताओं और उससे होने वाले फायदे के बारे मे बताती है । यह बकरी के अंत: प्रजनन से होने वाले दुष्परिणामों जैसे कम वजन के मेमनों का पैदा होना, बकरियों का बार- बार बीमार पड़ना इत्यादि से अवगत कराती है । यह फिल्म बकरी के ऋतुचक्र और बकरी के प्रजनन के सही समह के विषय जानकारी देती है !
टीकाकारण – इस 6:23 मिनट की फिल्म मे, बकरी के टीकाकरण और उसकी ज़रूरतों पर प्रकाश डाला गया है । इस फिल्म मे बकरी को गंभीर बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण के महत्व के बारे मे बताया गया है । बकरी को होने वाली कुछ जानलेवा बीमारियों जैसे बकरी प्लेग, फड़किया इत्यादि से बचाव हेतु टीकाकरण करने का समय और उसके फायदे के बारे मे जानकारी दी गयी है । इस फिल्म मे टीकाकरण करने से पहले और टीकाकरण करने के दौरान पशु सखियों को किन प्रमुख बातों का ध्यान रखना है इस विषय पर जानकारी दी गयी है ।
बकरियों का संतुलित आहार – यह 06:19 सेकंड की फिल्म, बकरियों के पोषण के बारे में जानकारी प्रदान करती है ।बकरियों में संतुलित आहार उतनाही जरूरी हैं जितना मनुष्य के लिए हैं। यहफिल्म संतुलित आहार के मुख्य घटको जैसे हरा चारा, सूखा चारा और दाना मिश्रण के महत्व को दर्शाती है इस फिल्म मे बकरी लिए आवश्यक संतुलित आहार कीमात्रा के बारे मे जानकारी दी गयी है । इस फिल्म के द्वारा पशु सखियो को, स्थानीय सामग्रियोंका प्रयोग करके बकरियों के लिए दाना मिश्रण बनाने के बारे मेबताया गया है । यह फिल्म संतुलित आहार मिलने वाली बकरी के स्वाथ्य और उसकेसुनिश्चित वजन मे योगदान के बारे में ज्ञान देता है
बकरियों में बधियाकरण – यह 07:31 सेकंड की फिल्म, बधियाकरण और उसकी सही विधि के महत्तव को दर्शाती है, इस फिल्म मे बधियाकरणविभिन्न विधियों के बार मेंबताया गया है. इस फिल्म के द्वारा लोगों में आसान और सबसे सुरक्षित बधितकरण के बारे में जानकारी दी गयी है। गांव मेअप्रक्षिक्षित लोगो केद्वारा चीरा लगाकर बधियाकरण से होने वाले नुकसान और प्रक्षिक्षित पशु सखी से बरडीजो विधि से बधियाकरण करने से होने वालेफायदे केबारे मे बताया गया है । फिल्म के द्वारा बधियाकरण करने के सही समय और उससे होने वाले फायदे जैसे बकरे का वजन तेज़ी बढ़ना, दुर्गन्धका कम होना , मांस का स्वादिष्ट होना इत्यादि की जानकारी दी गयी है।
बकरियों में डीवर्मिंग – इस 6:30 मिनट की फ़िल्म में, बकरी को पेट के कीड़े मारने की दवा देने और उसके फ़ायदों के बारे में बताया है । इस फ़िल्म में बकरियों के पेट में कीड़े हो जाने के कारण नुकसान को लेकर विस्तारपूर्वक बताया गया है । बकरियों में हर 3 से 4 महीने के अंतराल पर पेट के कीड़े मारने की दवा देने के महत्व के ऊपर प्रकाश डाला गया है । यह फ़िल्म बकरियों को पेट के कीड़े की दवा देते समय किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना है इस विषय पर जानकारी देती है ।
पशु सखी मॉडल – इस 6:44 मिनट की फ़िल्म में, पशु सखी के रूप में गाँव स्तर पर उन्नत बकरी पालन में उनके क्या महत्वपूर्ण कार्य है , उसके बारे में बताया गया है । गाँव स्तर पर पशु सखी का चुनाव कैसे करना है और पशु सखी के विभिन्न सेवाओं के कारण महिलाओं को बकरीपालन से फ़ायदों को लेकर विस्तारपूर्वक समझाया गया है । यह फ़िल्म पशु सखी को पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर महिला आर्थिक सशक्तिकरण की ओर चलने को लेकर उत्साहित करती है ।
बकरी बेचने के लाभदायक तरीके – इस 5:26 मिनट के फिल्म में बकरी बेचने के लाभदायक तरीके के बारे में बताया गया। इस फिल्म में बकरी को बाज़ार मूल्य की जानकारी पर बेचना तथा बकरियों को तौल कर मोलभाव करने पर ज़ोर दिया गया है । गाँव स्तर पर समूह के माध्यम से बकरी बेचने के फ़ायदों तथा अच्छी आमदनी होने की बात कही गयी है ।
सामुदायिक बकरी प्रजनन कार्यक्रम – इस 7:00 मिनट की फ़िल्म में, सामुदायिक रूप से बकरी के नस्ल सुधार और उससे होने वाले फ़ायदों के बारे में बताया गया है । इस कार्यक्रम के तहत बकरी और उनके मेमनों का चयन,उनकी गिनती, रिकॉर्डिंग, चयनित बकरे को तैयार करना तथा चयनित तैयार बकरों को दूसरे गाँव में नस्ल सुधार के लिए देने जैसे महत्वपूर्ण बातों पर पकाश डाला गया हैं ।
बच्चों का स्वस्थ और पोषण – इस 6:29 मिनट की फ़िल्म में, बच्चों के स्वस्थ और आहार को लेकर विस्तारपूर्वक बताया गया है । यह फ़िल्म बच्चों के पहले छःमहीने में स्तनपान और छःमहीने के बाद ऊपरी आहार खिलाने और उससे होने वाले फ़ायदों के विषय में जानकारी देती है ।
महिला स्वास्थ और पोषण – इस 6:40 मिनट की फ़िल्म में, महिलाओं के स्वास्थ और संतुलित आहार लेने के बारे में बताया गया है । इस फिल्म के माध्यम से पोषण वाटिका और बोरी बगीचा लगाने और उनके फ़ायदों के बारे में भी बताया गया है । साथ ही साथ , भोजन बनाने की सही विधि और भोजन में तीन रंग वाले संतुलित आहार को शामिल करने को लेकर विस्तारपूर्वक बताया गया है ।
स्वस्थ और बीमार बकरियों की पहचान – इस 6:08 मिनट की फ़िल्म में, स्वस्थ और बीमार बकरियों की पहचान को लेकर विस्तारपूर्वक बताया गया है । बीमार बकरियों में विभिन्न प्रकार के लक्षण , उनकी पहचान तथा उनके रोकथाम के उपाय के बारे में बताया गया है ।
मेषा परियोजना – इस 5:34 मिनट की फ़िल्म में, मेषा परियोजना के बारे में पूरी जानकारी दी गयी है । मेषा परियोजना को महिला आर्थिक सशक्तिकरण का कार्यक्रम बताया गया है । इस फिल्म में उन्नत बकरीपालन से लाभ , महिला बकरीपालक को आत्मनिर्भर बनाने और पशु सखी के कार्यों के बारे में संक्षिप्त विवरण है ।
बकरियों का आर्थिक एवं सामाजिक महत्व – बकरी, जिसे ‘गरीबों की गाय’ कहा जाता है , उसके आर्थिक और सामाजिक महत्व को इस फ़िल्म के माध्यम से बताया गया है । इस फिल्म में बकरी के विभिन्न उत्पादों से फ़ायदों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है ।
महिलाओं के हक़ और आधिकार – इस 7:33 मिनट की फ़िल्म में समूह के माध्यम से महिलाएं अपने हक़ और आधिकार के बारे में जान पाये , इसके बारे में बताया गया है । सरकारी योजनाएँ जैसे MGNREGA , राशन, पेंशन तथा ग्राम सभा के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है ।
बकरी आवास – इस वीडियो में बकरी को खुले या घर के अंदर रखने की तुलना में शेड (बकरी आवास) में रखने के फायदों को बताया गया है। वीडियो में बताया गया है कि यह कैसे बकरियों और बकरी पालक परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है जैसे – बकरियों को खुले में रखने से निमोनिया हो जाती है, लू लग जाती है और जंगली जानवरों द्वारा हमले का भी डर होता है । वीडियो में स्थानीय सामग्रियों से बकरी के शेड के निर्माण की विधि और इसके रखरखाव और सफाई के बारे में भी बताया गया है। अज़ीमा खातून की कहानी के द्वारा बकरी के शेड के निर्माण के फायदों को समझाया गया है।
This free video course in Hindi was developed for female farmers in India who are looking to grow their income by becoming Pashu Sakhis – community-based consultants who provide goat rearing advice and services.
The course explains key aspects of goat health and management practices, including:
- Goat behaviour,
- Goat breeding,
- Goat vaccination,
- Goat feed,
- Goat castration, and
- Goat deworming.
The course also explains various aspects of the Pashu Sakhi model, which enables female farmers to become village-level entrepreneurs. This includes:
- Goat marketing,
- Community goat breeding,
- Identifying healthy and sick goats, and
- Economic and social benefits of goats.
The Pashu Sakhi model being a valuable platform for disseminating key health and nutrition related messages to marginal farming communities, the course also covers:
- Children’s health and nutrition,
- Women’s health and nutrition, and
- Rights and entitlements for women in India.
This short online course was produced by the Aga Khan Foundation in India with the support of the Bill & Melinda Gates Foundation. The video was produced as part of the Aga Khan Foundation’s agriculture and food security programme.
This work is licensed under the Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives License. To view a copy of this license, go here.
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